चुनाव फिरू आ गइले… अबकी विकास चखनी कि फिर से जाति के पकौड़ी?

गौरव त्रिपाठी
गौरव त्रिपाठी

बिहार, जेकरा के बुद्ध-बोधगया से जानल जाला, अब अपराध आ अफसरशाही के नया नाम बन गइल बा। अस्पताल में मर्डर, सड़क पर अपहरण, आ विधानसभा में हो रहल “विकास विकास” के शोर। 2025 के चुनाव में बवाल तय बा। अब देखे के बा कि जनता के वोट दिमाग से आई कि दिल से।

शिक्षा के पतंग – केकरा हाथे ऊँच उड़ल?

लालू-राबड़ी के जमाना (1990-2005):

भैया, ऊ जमाना में स्कूल रहे – मास्टर ना। पढ़ाई रहे – कुर्सी पर नेता। ‘चारवाहा विद्यालय’ के नाम पर स्कूल खोलल गइल, बाकिर रजिस्टर में गाय पढ़त रहे, मास्टर जी छुट्टी पर। साक्षरता बढ़ल जरूर, बाकिर स्लो मोशन में।

नीतीश कुमार के जमाना (2005-2025):

ई आदमी शिक्षा पर फोकस कइलक। “साइकिल योजना” से बेटी लोग के स्कूल ले गइल, “स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड” से कॉलेज में घुसेल। स्कूल में मास्टर, मास्टर में डांट, आ डांट से बच्चा पढ़े लागल। साक्षरता दर 70% के पार!

अपराध के X-Ray – लालू राज VS नीतीश राज

लालू राज: अपराध के सीजन-1

1990 से 2005 तक गोली चलल बिहार में ऐसे जैसे दिवाली होखत हो। मर्डर, अपहरण, फिरौती – सबकुछ खुलेआम। पुलिस? उ ता बगल में खड़ा देखत रहे। लोग के कहनाम रहे – “बिहार में ना रहब, तो जियब।”

नीतीश राज: अपराध के डायलिसिस

नीतीश बाबू आवते जेल के ताला खुलल, अपराधी भीतर घुसल। “ऑपरेशन मुक्ति” आ “बिहार पुलिस सुधार” से कुछ हद तक रामराज्य के झलक मिलल, बाकिर चंदन मिश्रा केस देख के बुझात बा कि गुंडा लोग अब भी हार्डी भाई के डायलॉग बोले लागल बा: “मुझे मारना आसान नहीं!”

विकास के पोस्टर – सपना के फ्लेक्स या सच के सड़क?

लालू के विकास: भैंस के आगे बीन

सड़क ना रहे, बिजली ना रहे, बाकिर राजनीति गरम रहे। जातिवाद रहे फुल स्पीड में, आउर जीडीपी रहे स्लो मोशन में। लालूजी के रेल मंत्री बनला से रेल त चलल, बाकिर बिहार ओही स्टेशन पर अटक गइल।

नीतीश के विकास: 4G बिहार

सात निश्चय, बिजली के लाइट आ सड़क के पटरी पर बिहार धीरे-धीरे दौड़ लागल। 16,000 किलोमीटर सड़क, गांव में बिजली, आ शहर में नाला साफ – सुनके लागे कि “अच्छे दिन” बस बिहारिए के मिलल।

स्वास्थ्य सेवा – लालू के डोज बनाम नीतीश के इंजेक्शन

लालू राज में अस्पताल: मरीज जाएं तो खुदा हाफिज!

सरकारी अस्पताल में डॉक्टर छुट्टी पर, नर्स शादी में, आ दवाई गुप्त। लोग मरे, अफसर चुप, बाकिर नेता के भाषण चालू।

नीतीश राज में अस्पताल: थोड़ा बहुत सुधार

मुख्यमंत्री स्वास्थ्य योजना से दवाई भी आयल, डॉक्टर भी। अब सरकारी अस्पताल में इलाज संभव बा, बाकिर चंदन मिश्रा के वार्ड मर्डर देख के लागता – OPD से ज्यादा VIP में खतरा बा।

अब के बार, जनता किस पर करिहे वार?

2025 में बिहारिया जनता के हाथ में एगो तगड़ा मौका बा – नीतीश के ‘ट्रैक रिकॉर्ड’, तेजस्वी के ‘युवा जोश’ आ प्रशांत किशोर के ‘स्टोरीलाइन’ के बीच फैसला लेवे के।

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